भारत का विभाजन 1947

14-15 अगस्त की आधी रात, इतिहास में दर्ज सबसे बड़े विस्थापन की शुरूआत हुई। लाखों हिंदू, मुस्लिम और सिख अपने-अपने घरों को छोड़कर एक अनजान सफर पर सैकड़ों मील चलने के लिए मजबूर हो चुके थे। इस रास्ते में उन्हें जगह जगह भीषण हिंसा का भी शिकार होना पड़ा। ऐसा इसलिए क्योंकि हिंदु बाहुल्य वाले भारत और मुस्लिम बाहुल्य वाले पाकिस्तान का बंटवारा हो चुका था। हजारों साल से जो हिंदू-मुसलमान साथ रह रहे थे वो कट्टरपंथी हिंसा की चपेट में आ गए थे। इस हिंसा में दस लाख से ज्यादा लोग मारे गए और एक करोड़ से ज्यादा लोग धार्मिक उन्माद में लापता हो गए थे।

विभाजन और पहचान का संकट

मैं हिंदू परिवार से हूं, जब विभाजन हुआ तो मेरे पिता 25-26 साल के रहे होंगे और मेरी मां 18-19 साल की। मेरे ननिहाल में बहुत नुकसान हुआ था।

साहित्य में विभाजन का वर्णन

विभाजन के बाद समाज में दंगे हुए, अशांति रही। हिंसा, कटुता, बलात्कार, नरसंहार, लूटपाट, भुखमरी सबकुछ देखना पड़ा। मानवता के इतिहास में मजबूरन हुए सबसे बड़े पलायन की गवाह पूरी दुनिया बनी।

विभाजन की त्रासदी झेलने वालों की केस स्टडी

पंजाब और बंगाल प्रांतों में विनाशकारी दंगे हुए। जिसकी वजह से हजारों लोगों की जान गई। लाखों लोगों के जेहन में कभी न भुलाई जाने वाली कड़वी यादें दर्ज हो गईं। 

मेरे परिवार ने मुस्लिम परिवार के घर पर कब्जा किया, सुरिंदर शानी, उम्र-81 साल, सेवानिवृत्त वास्तुकार, ब्रिटेन

रावलपिंडी शहर के बीच में मेरे परिवार की अनाज की दुकान थी। वो मुस्लिम बाहुल्य इलाका था। हम सिख थे, लेकिन मेरे पिता के कई मुस्लिम दोस्त थे। वे आपस में कहानी-कविताओं की बातें किया करते थे। विभाजन के बाद हम जालंधर आ गए। लगातार हो रहे दंगें मुसलमानों को पाकिस्तान जाने के लिए मजबूर कर रहे थे। मेरे एक रिश्तेदार ने कहाकि हमें देश छोड़कर जा रहे मुस्लिमों के घर पर कब्जा कर लेना चाहिए। मेरे पिता ऐसा नहीं करना चाहते थे लेकिन उनके भाई ने उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया। जब वह मुस्लिम परिवार घर छोड़कर जा रहा था तो मैं वहां मौजूद था। करीब बारह बजे का वक्त था। मेरे पिता ने उस घर के मालिक से माफी मांगी। वे एक बुजुर्ग व्यक्ति थे। जो कुछ हो रहा था उसके लिए पिता जी ने अफसोस व्यक्त किया। मेरे पिता जी ने वायदा किया कि वे घर की अच्छी तरह देखभाल करेंगे। उस बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा- मेरी किबातों का ख्याल रखिएगा वे मेरे लिए इस घर से भी ज्यादा कीमती हैं।

अगले दिन हमें पता चला कि सिख उपद्रवियों ने उन सभी का कत्ल कर दिया। वो बॉर्डर तक पहुंच ही नहीं पाए।

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विभाजन की याद के बारे में और जानकारी

अगस्त 1947 में ब्रिटिश हूकूमत के भारत से जाने के बाद, भारत का विभाजन दो स्वतंत्र देशों में हुआ: भारत और पाकिस्तान। भारत के विभाजन से लाखों परिवार उजड़ गए।

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जीवित बचे लोगों की जुबानी विभाजन का इतिहास

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (नई दिल्ली) विभाजन की पृष्ठभूमि को याद करते ह्ए सेमिनार, व्याख्यानमाला, प्रदर्शनी, फिल्मों की स्क्रीनिंग जैसे कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। इसका मकसद विभाजन की त्रासदी और उसके संघर्षों को झेलने वाली जिंदगियों को याद करना और उन्हें श्रद्दांजलि देना है। 

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